रेजिडेंशियल घर से होने वाली इनकम पर लगने वाले टैक्स को लेकर जानिए क्या है नियम?

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Residential Property: रेजिडेंशियल संपत्ति को बेचने या उससे होने वाली आय पर आपसे टैक्स वसूला जा सकता है. दरअसल, रेजिडेंशियल संपत्ति के बेचने के बाद शुद्ध बिक्री आय से अधिग्रहण की लागत घटाने के बाद जो आय बनती है, उस पर आपको टैक्स देना होता है. इसके अलावा, रेजिडेंशियल घर सहित किसी भी पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से होने वाली इनकम पर लाभ के रूप में टैक्स लगाया जाता है.
जानिए क्या है नियम
यदि घर 24 महीने के बाद बेचा जाता है तो लंबी अवधि के लाभ की गणना के लिए अधिग्रहण की लागत के रूप में अनुक्रमित लागत लेने की अनुमति है. वहीं, यदि संपत्ति 24 महीनों के भीतर बेची जाती है तो अंतर पर आपके लिए लागू स्लैब दर पर लाभ के रूप में टैक्स लगाया जाता है.
लंबे समय के लिए निवेश करके आप लाभ पर बचा सकते हैं टैक्स
वहीं, अगर आप तत्काल एक आवासीय घर नहीं खरीदना चाहते हैं तो आप लंबे समय के लिए रुपए निवेश करके लाभ पर टैक्स बचा सकते हैं. आईआरएफसी, पीएफसी, एनएचएआई और आरईसी लिमिटेड जैसे किसी भी निर्दिष्ट वित्तीय संस्थान के लाभ बांड में 46.95 लाख की बिक्री की तारीख से छह महीने के भीतर संपत्ति जहां कोई एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 50 लाख रुपए का निवेश कर सकता है. बांड में 5 साल का लॉक इन पीरियड होता है. इन बॉन्ड्स की मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा टैक्स फ्री होता है.
जानिए वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए क्या है नियम
जबकि, वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए इस पैसे का उपयोग संपत्ति की बिक्री की तारीख से 2 साल के भीतर आवासीय घर खरीदने के लिए या तीन साल के भीतर खुद का घर बनाने या निर्माणाधीन आवासीय घर की बुकिंग के लिए किया जा सकता है. पूंजीगत लाभ पर कोई टैक्स नहीं होगा. अगर इस धन का उपयोग ऊपर के रूप में किया जाता है, तो तीन वर्ष की अवधि समाप्त होने पर यह टैक्स योग्य हो जाएगी.