June 4, 2023

2000 रुपये की नोटबंदी पर दिल्ली HC में याचिका, बैंकों से 500 रुपये के मुआवजे की मांग

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले शुक्रवार 19 मई को 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था. केंद्रीय बैंक ने बैंकों को सुझाव दिया था कि 23 मई से वे ग्राहकों से 2000 रुपये का नोट वापस तो लेंगे, लेकिन ग्राहकों को नोट जारी नहीं करेंगे. केंद्रीय बैंक ने इन नोटों को बदलने की आखिरी तारीख 30 सिंतबर निर्धारित की है. यानी 2000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध रहेंगे. इस बीच, खबर यह है कि आरबीआई के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.

नोट बदलने वालों को 500 रुपये का मिले मुआवजा

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में 2000 रुपये के नोट की वापसी के लिए आरबीआई की ओर से अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है. इसके साथ ही, इस याचिका में 2000 रुपये बदलने के लिए बैंकों में आने वाले लोगों को मुआवजे के तौर पर 500 रुपये देने की मांग भी की गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका अधिवक्ता रजनीश भास्कर गुप्ता की ओर से दायर की गई है.

आरबीआई पर मनमाना फैसला करने का आरोप

दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने अपनी याचिका में कई प्रकार के तर्क देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक के पास आरबीआई अधिनियम-1934 के तहत किसी भी मूल्य के बैंक नोट को बंद करने कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है. आरबीआई अधिनियम-1934 की धारा 24(2) के तहत यह शक्ति केवल केंद्र सरकार के पास है. उन्होंने आरोप लगाया है कि 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर किए जाने से जनता पर बड़े पैमाने पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किए बिना ही आरबीआई की ओर से मनमाना फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि 2000 रुपये के नोट को बंद करने के पीछे आरबीआई ने कोई सटीक तर्क नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत केवल कटे-फटे और पुराने गंदे नोटों को वापस लिया जाता है, न कि अच्छे नोट वापस लिये जाते हैं.

दुकानदारों ने 2000 का नोट लेना किया बंद

याचिका में यह भी कहा गया है आरबीआई की ओर से अधिसूचना जारी करने के बाद बाजार में कारोबारियों और दुकानदारों ने 2000 रुपये के नोट को लेना बंद कर दिया है. इससे बैंक से दूर रहने वाले ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले पुरुषों और महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. याचिका में कहा गया है कि इस भीषण गर्मी में ग्रामीण इलाकों के लोगों को बिना किसी गलती के 2000 रुपये का नोट बदलवाने के लिए कई-कई किलोमीटर दूर बैंक जाना पड़ रहा है और वहां कतार में लगकर नोट बदलवाना पड़ रहा है.

आरबीआई ने नोटबंदी से पहले जनता को नहीं दी जानकारी

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय न केवल हरेक बैंक नोट पर छपाई के साल का ही उल्लेख करती है, बल्कि केंद्रीय बैंक क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह अनुमान भी लगाता है कि संबंधित नोट कितने साल तक चल सकते हैं और उनकी उम्र कितनी हो सकती है. नोट वापसी से पहले वित्त मंत्रालय और आरबीआई देश के नागरिकों को इसकी सूचना देते हैं, जबकि आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट की वापसी करने का ऐलान करने से पहले ऐसा नहीं किया गया.

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