Exclusive : भारत में क्यों हुई फिर नोटबंदी? जानें पहली बार कब छपा था 2000 रुपये का नोट

नई दिल्ली : भारत के नागरिकों को सात साल बाद एक बार फिर नोटबंदी का सामना करना पड़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राष्ट्र के तमाम बैंकों को सलाह दिया है कि वे अब अपने बैंकों की शाखाओं अथवा एटीएम से 2000 रुपये के नोट को जारी न करें, क्योंकि अब अर्थव्यवस्था में और भारत के नागरिक नियमित लेनदेन में 2000 रुपये मूल्य के नोट का इस्तेमाल नहीं करते. हालांकि, 2000 रुपये के नोट की छपाई में ज्यादा खर्च होने की वजह से भारत में वर्ष 2019 के बाद से ही इन नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी, लेकिन सवाल यह भी पैदा हो रहे हैं कि भारत में पहली बार नोटबंदी कब हुई थी.
ये नहीं जानना चाहते इतिहास
21वीं सदी के आरंभ में जन्मे नौजवान जो अब 18 से 21 साल के उम्र को प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें इतिहास या बीते दिनों में हुई घटनाओं से अधिक मतलब नहीं रहता. 19 मई, 2023 को आरबीआई ने भारत के बैंकों को 2000 रुपये के नोट को जारी नहीं करने की सलाह दी है, तो 21वीं सदी के आरंभ में जन्मे 18 से 21 साल के युवाओं को यह भी पता नहीं होगा कि भारत में पहली बार नोटबंदी कब हुई थी. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि 21वीं सदी के आरंभिक वर्ष 2000, 2001, 2002, 2003 से 2014 तक जो बच्चे भारत में पैदा हुए होंगे, आज उनकी उम्र 23, 22, 21, 20 से लेकर नौ साल तक होगी और वे अभी स्कूली कक्षाओं में होंगे या 10वीं-12वीं कक्षा की परीक्षा पास करके अपने भविष्य को संवारने में लगे होंगे और उन्हें सात-आठ के पहले के इतिहास लेना-देना नहीं है. देश में सत्तारूढ़ दल के निशाने पर 21वीं सदी में वर्ष 2000 से लेकर 2013 तक पैदा हुए नौजवान है, जिन्हें येनकेनप्रकारेण भरमाया जा सकता है. आइए, उन नौजवानों को बताते हैं कि भारत में पहली बार कब 500 और 1000 रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर कर दिया गया था और उसके बाद सबसे पहले 2000 रुपये का नोट छापा गया था?
भारत में कितने प्रकार के सिक्के और नोट थे प्रचलित
वर्ष 2000 से लेकर 2013 तक के समयांतराल में जन्मे भारत के नौजवानों को यह बताना बेहद जरूरी है कि भारत में पहली बार समग्र तरीके से नोटबंदी कब हुई थी? हालांकि, इन नौजवानों को यह भी बता देना चाहिए कि भारत में कभी अधन्नी, एकन्नी, दुअन्नी, चार पैसा, पांच पैसा, दस पैसा, बीस पैसा, चवन्नी, अठन्नी और एक रुपये के सिक्के भी भारत में प्रचलित थे. इसके बाद एक रुपये का नोट, दो रुपये का नोट, पांच रुपये का नोट, दस रुपये का नोट, बीस रुपये का नोट, 50 रुपये का नोट और 100 रुपये का नोट भी भारतीय बाजार के प्रचलन में थे.
भारत में सबसे पहले कब छपा 1000 रुपये का नोट
21वीं सदी के नौजवानों के लिए यह बेहद ही जरूरी जानकारी है कि भारत में 1000 रुपये का नोट सबसे पहले वर्ष 1954 को जारी किया गया था. भारत 1947 में 15 अगस्त को आजाद हुआ था और इसके सात साल बाद भारत में 1000 रुपये का नोट प्रचलन में आया था. इसके बाद 21वीं सदी के पहले वर्ष 2000 में 1000 रुपये का नोट भारत के बाजार में प्रचलन में आया. हालांकि, वर्ष 1954 में भारत में प्रचलित किए गए 1000 रुपये के नोट को जनवरी 1978 में प्रचलन से बाहर कर दिया गया. इसके बाद जब वर्ष 1998 में भारत में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी, तब वर्ष 2000 में 1000 रुपये के नए नोट भारत में छापे गए और उन्हें बाजार में उतारा गया था.
भारत में पहली बार कब छपा 500 रुपये का नोट
21वीं सदी के नौजवानों के लिए दूसरी महत्वपूर्ण सवाल ये है कि भारत में पहली बार 500 रुपये का नोट कब छापा गया था? तो आपको बता दें कि भारत में पहली बार 500 रुपये के नोट वर्ष 1987 के अक्टूबर महीने में जारी किया गया था. यह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासन का कार्यकाल था, क्योंकि 31 अक्टूबर 1984 को बेअंत सिंह और सतवंत सिंह नामक सुरक्षा गार्डों ने राजीव गांधी की मां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद, पायलट के तौर पर कार्यरत इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया था. हालांकि, उससे पहले उनके छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई दुर्घटना में मौत हो गई थी. हालांकि, 21 मई 1989 को चुनावी प्रचार के दौरान तमिलनाडु के पेरंबदूर में आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की भी मौत हो गई थी और उनके हत्यारोपियों को या तो मौत की सजा से बरी कर दिया गया या फिर उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया. इन्हीं राजीव गांधी के कार्यकाल में पहली बार 500 रुपये का नोट भारत में पहली बार छापा गया और प्रचलन में आया.
भारत में पहली बार कब हुई पूर्ण नोटबंदी
21वीं सदी में वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2013 तक जन्मे नौजवानों के लिए एक और बात बता देना बेहद जरूरी है कि भारत में पहली बार नोटबंदी कब हुई? तो आपको बता दें कि भारत में 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे भारत में संपूर्ण नोटबंदी की घोषणा भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया था. उन्होंने 8 नवंबर की रात 8 बजे अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि आज रात आठ बजे के बाद भारत में प्रचलित 500 और 1000 रुपये के नोट प्रचलन से बाहर हो जाएंगे. उनकी इस घोषणा के बाद से ही पूरे देश में पहली बार नोटबंदी हुई थी. इस नोटबंदी में 500 और 1000 रुपये के नोट को भुनाने के लिए बैंकों की शाखाओं के सामने सुबह पांच बजे से लेकर रात बारह बजे तक लाइन में खड़े आधिकारिक तौर पर 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई. कई लोगों के घर-बार बर्बाद हो गए.
2000 रुपये का नोट कब हुआ बंद
21वीं सदी के नौजवानों, आपको यह भी बता देना बेहद जरूरी है कि भारत में 2000 रुपये के नोट को 19 मई, 2023 को प्रचलन से बाहर करने का भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से घोषणा की गई है. इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे से भारत में संपूर्ण नोटबंदी की घोषणा के बाद बड़े नोटों में सबसे पहले गुलाबी रंग वाले दो हजार रुपये के नोट को छापकर प्रचलन में लाया गया था, ताकि एक दिन में लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके. उस समय एक दिन में एक व्यक्ति एक समय में बैंकों की शाखाओं अथवा एटीएम से केवल 4000 रुपये ही निकाल सकता था. यह नकदी निकासी की सीमा थी. आरबीआई ने प्रथम नोटंबदी के बाद लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही 2000 रुपये का नोट छापना शुरू किया था, ताकि 2000 रुपये के दो नोट पर ही लोगों की जरूरतें पूरी हो सके.
क्यों बंद किया गया 2000 रुपये का नोट
19 मई, 2023 को भारत के केंदीय बैंक आरबीआई की ओर से जब देश के बैंकों को यह सुझाव दिया गया कि अब आप लोग नकदी के तौर पर 2000 रुपये का नोट जारी करना बंद कर दीजिए, तो यह कहा गया कि भारत में जब 8 नवंबर 2016 को पुराने 500 और 1000 रुपये को नोटों को प्रचलन से बाहर करने के लिए संपूर्ण नोटबंदी की गई थी, तो उसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों को देखते हुए 20, 50, 100, 200 और 500 रुपये के नोट आवश्यकता के अनुरूप मौजूद है और दैनिक लेनदेन में 2000 रुपये का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इसे प्रचलन से बाहर कर दिया जाना चाहिए.