<p>इजरायल और हमास के बीच 7 अक्टूबर से जंग जारी है. एक तरफ इजरायल के सैनिक गाजा पट्टी में जमीनी लड़ाई लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर हमास के लड़ाके भी गोलीबारी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इतने समय तक इजरायल जैसे मजबूत देश के सामने हमास जैसे संगठन के लड़ाके कैसे टिके हैं. उन्हें फंड कौन दे रहा है और सबसे बड़ी बात की हमास के 50 हजार लड़ाकों तक ये पैसा पहुंच कैसे रहा है. चलिए आपको आज इसी के बारे में बताते हैं.</p>
<h3>हमास अपने लड़ाकों पर कितना पैसा खर्च करता है</h3>
<p>न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा सरकार अपने सालाना बजट पर 700 मिलियन डॉलर खर्च करती है. भारतीय रुपये में ये पांच हजार करोड़ से कहीं ज्यादा की रकम है. यहां गाजा सरकार का मतलब हमास से है, क्योंकि गाजा पर हमास ही रूल करता है. हालांकि, ये पूरे 700 मिलियन डॉलर हमास के लड़ाकों पर ही खर्च नहीं होते, बल्कि इन पैसों से कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है और कई दूसरे काम भी किए जाते हैं. लेकिन खर्च से बड़ा सवाल ये है कि हमास जैसे संगठन के पास इतना पैसा आ कहां से रहा है.</p>
<h3>हमास के पास पैसा कहां से आता है?</h3>
<p>हमास के बारे में कहा जाता है कि इजरायल के विरोध में खड़े होने पर उसे बाहरी देशों से काफी मदद मिलती है. मुख्य रूप से ये मदद आर्थिक होती है. हाल ही में फ्रांसीसी इंस्टीट्यूट फ़ॉर इंटरनेशनल ऐंड स्ट्रैटेजिक अफ़ेयर्स (IRIS) के उपाध्यक्ष दीदीदह बेलयून ने कहा कि कतर के लोगों द्वारा हमास को हर महीने 30 मिलियन डॉलर से अधिक की मदद मिलती है. वहीं वाशिंगटन सेंटर फॉर अरब स्टडीज़ की एक रिपोर्ट कहती है कि 2012 से 2022 तक गाजा पट्टी को दोहा की ओर से लगभग 1.3 बिलियन डॉलर की मदद की गई है.</p>
<h3>ईरान से मिलती है भारी मदद</h3>
<p>साल 2020 में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में मंत्रालय ने कहा था कि ईरान हर साल हमास को लगभग 100 मिलियन डॉलर की मदद देता है. इसके साथ ही ईरान के परोपकारी संगठन भी हमास को सालाना बड़ी आर्थिक मदद पहुंचाते हैं. बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस की न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने जनवरी 2021 में छापा था कि हमास को 95 फीसदी से अधिक फंडिंग सरकारों, इख़्वानुल मुस्लिमीन के पूंजीपतियों, जनता और पूरी दुनिया में फिलिस्तीनी समर्थकों से मिलती है.</p>
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