<p>चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग भारत के लिए एक बड़ी सफलता है. यही वजह है कि उससे जुड़ी कोई भी खबर आती है तो लोगों के बीच उत्सुकता बढ़ जाती है. अब ख़बर है कि चंद्रयान-3 को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने वाले LVM3 M4 प्रक्षेपण यान का क्रायोजेनिक यानी ऊपरी हिस्सा बुधवार को पृथ्वी के वायुमंडल में अनियंत्रित रूप से फिर से प्रवेश कर गया और प्रशांत महासागर में जा गिरा. अब ऐसे में कई लोगों के दिमाग में एक सवाल उठ रहा है कि लॉन्चिंग के दौरान जो स्पेस रॉकेट क्रैश हो जाते हैं उनके मलबे का क्या होता है. चलिए आज इस आर्टिकल में आपको यही बताते हैं.</p>
<h3>स्पेस रॉकेट के स्क्रैप का क्या होता है?</h3>
<p>अंतरिक्ष यान की लॉन्चिंग हर बार सफल नहीं होती. कई बार ये फेल भी हो जाती है. ऐसे में ये सवाल उठना बहुत वाजिब है कि आखिर इसके स्क्रैप का क्या होता है. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर स्क्रैप का होता क्या है. दरअसल, जब कोई स्पेस रॉकेट क्रैश हो कर धरती पर गिरता है तो उसमें जोरदार ब्लास्ट होता है. ऐसे में उसके कई पार्ट बेहद खराब हो जाते हैं. जबकि कुछ पार्ट्स बच जाते हैं. जो भी पार्ट्स बच जाते हैं रॉकेट बनाने वाली संस्था उसे दूसरे रॉकेट में इस्तेमाल कर लेती है. बाकी के बचे पार्ट को स्क्रैप में बेच दिया जाता है. हालांकि, स्पेस शटल को बनाने में काफी महंगे महंगे मेटल वाले पार्ट्स का इस्तेमाल होता है, ऐसे में इसका स्क्रैप भी काफी महंगा बिकता है.</p>
<h3>स्पेस रॉकेट का भी होता है इंश्योरेंस?</h3>
<p>किसी भी स्पेस रॉकेट को बनाने में ढेर सारा पैसा खर्च होता है. यही वजह है कि जब कोई स्पेस रॉकेट क्रैश कर जाता है तो सरकार या फिर प्राइवेट संस्थान, यानी जिसने भी रॉकेट बनाया हो उसे भारी नुकसान होता है. हालांकि, इस नुकसान से बचने के लिए प्राइवेट कंपनियां या सरकारी संस्थाएं लॉन्चिंग से पहले ही रॉकेट का इंश्योरेंस करा लेती हैं, ताकि रॉकेट के क्रैश होने पर उन्हें कुछ आर्थिक मदद मिल जाए. वहीं, इंश्योरेंस कंपनी अपने नुकसान को थोड़ा कम करने के लिए क्रैश हुए रॉकेट का मलबा इकट्ठा करती है और उसे बेच देती है.</p>
<h3>स्पेस में भी तैर रहा है कचरा</h3>
<p>अब तक आपने उस कचरे के बारे में पढ़ा जो धरती पर गिर जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती से भेजे गए ढेर सारे स्पेस शटल या उनके टुकड़े अंतरिक्ष में मलबे का पहाड़ बन गए हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार, इस वक्त स्पेस में 8400 टन कचरा मौजूद है. इसमें सबसे ज्यादा खराब हो चुके सैटेलाइट्स और उनके टुकड़ों की संख्या ही है.</p>
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