Jaisalmer News: राजस्थान के थार के रेगिस्तान में इन दिनों विदेशी पक्षी कुरंजा के पहुंचने का दौर शुरू हो गया है. विदेशी पक्षी कुरंजा के पहले जत्थे ने जैसलमेर में डेरा डाल दिया है. खेतोलाई और चाचा गांव के इलाके में तालाबों पर कुरंजा को देखा जा सकता है. अब जैसे-जैसे मौसम बदलेगा धीरे-धीरे इनके अलग-अलग जत्थे आने शुरू हो जाएंगे. अगले 6 महीने तक तालाबों के आसपास अपना डेरा जमा कर रखेंगे. इस मामले में वन्य जीव प्रेमी राधेश्याम पैमानी ने बताया कि साइबेरिया से ब्लैक समुद्र, चीन, मंगोलिया आदि देशों में सितंबर के महीने में कड़ाके की ठंड का दौर और बर्फबारी शुरू हो जाती है. ऐसे में कुरंजा पक्षी भारत व पश्चिमी राजस्थान का रुख करते हैं.
कुरंजा पक्षियों का जत्था हिमालय की चोटी से होकर यहां आता है. सितंबर महीने के दूसरे सप्ताह में सर्दी का दौर शुरू हो जाता है. फरवरी मार्च महीने तक सर्दी का मौसम रहता है. तब तक विदेशी मेहमान कुरंजा पक्षी भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में रहते हैं. वन्यजीव प्रेमी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से कुरंजा पक्षी तालाबों व सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे थे. अब खेतोलाई व चाचा गांव के पास तालाबों पर पड़ाव डाल दिया है. पहले जत्थे के बाद अब कुरंजा का आना शुरू हो गया है. 6 महीने सरहदिय जिले के कई तालाबों और आसपास के क्षेत्र में कुरंजा पक्षी की कलरव सुनाई देगी.
सर्दियों के मौसम में राजस्थान आते हैं विदेशी पक्षी कुरंजा
कुरंजा पक्षी के जत्थे आने से पहले उनके कुछ पक्षी यहां पहुंचते हैं. जो अपने पहले के सालों के स्थलों को पहचान कर सुरक्षित व जल भराव स्थलों को चिह्नित कर स्थलों पर आसमान में ही रहकर चक्कर लगाकर पूरी जांच पड़ताल के बाद यह कुरंजा पक्षी नीचे उतर कर पड़ाव डालते है. कुरंजा का पहला जत्था पहुंच गया है. वन्यजीव प्रेमी ने बताया कि जैसे-जैसे तापमान में गिरावट होगी. वैसे-वैसे कुरंजा पक्षियों के जत्थे आते जाएंगे. सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा पश्चिमी राजस्थान के कई क्षेत्रों में कुरंजा पक्षियों के जत्थे डेरा डालते हैं.
कुरंजा पक्षियों ने तालाबों के किनारे जमाया डेरा
अभी शुरुआती दौर में आसपास के इलाके के तालाबों पर कुरंजा को देखा जा सकता है. इसके साथ ही पोकरण, गुड्डी, रामदेवरा, फलोदी के पास खीचन और जलभराव वाली जगह पर इनका प्रवास होता है. एक अनुमान के अनुसार जिले में लाखों की संख्या में कुरंजा पक्षी प्रवास करते हैं. कुरंजा पक्षी का प्रवास तालाबों के पास खुले मैदान व समतल जमीन पर रहता है. इनका मुख्य भोजन मोतिया घास होती है. इसके साथ ही पानी के पास पैदा होने वाले कीड़े मकोड़े खेतों में होने वाले मतीरे भी इनके पसंदीदा भोजन हैं. कुरंजा पक्षी का वजन करीब 2 से ढाई किलो होता है.
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