ATM PIN Knowledge : एटीएम पिन सिर्फ 4 नंबर का ही क्यों होता है, जानिए वजह

Fact About ATM Machine : आजकल टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हो गई है। किसी भी काम को टेक्नोलॉजी के जरिए आप आसानी से कर सकते हैं, फिर चाहे वो घर बैठे शॉपिंग करना हो या फिर बैंक को अपने घर बुलाना। आपने पहले देखा होगा कि लोगों को कैश निकालने के लिए भी बैंकों में लंबी लाइनों में लगकर घंटों इंतजार करना पड़ता था। फिर लोगों की सुविधा के लिए ATM शुरू हो गए और ऐसे में उन्हें बैंकों का चक्कर लगाने के झंझट से राहत मिल गई। अब लोग कैश निकालने के लिए अपना ATM कार्ड लेकर किसी नजदीकी ATM मशीन केबिन में जाते हैं और वहां 4 नंबर का पिन कोड डालकर कैश निकाल लेते हैं। क्या आपने कभी यह सोचा है कि एटीएम के पिन में सिर्फ चार ही नंबर क्यों होते हैं। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं।
पहले 6 अंकों का होता था पिन
आज आप भले ही 4 नंबरों का पिन डालकर ATM मशीन से पैसे निकाल लेते हैं, लेकिन इसकी शुरुआत में 6 नंबर का पिन होता था। ऐसा कहा जाता है कि सुरक्षा की दृष्टि से 4 की बजाए 6 नंबरों का पिन ज्यादा बेहतर और सुरक्षित होता था। हालांकि लोगों को इससे असहजता होने लगी और कई बार तो पिन भूलने की समस्या भी हुई। ऐसे में इसके चलते 4 नंबरों का पिन रखा गया। ऐसा नहीं है कि अब कहीं भी 6 नंबर का पिन इस्तेमाल नहीं किया जाता। दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां पर आज भी 6 नंबर का ATM पिन होता है। 4 की बजाय 6 नंबर का पिन रखने से किसी अन्य व्यक्ति को आसानी से उसका पिन याद नहीं होता और इतने नंबर के पिन को हैक करना भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
इंडिया में हुआ एटीएम के आविष्कारक का जन्म
आपको यह जानकर काफी दिलचस्पी होगी कि एटीएम का आविष्कार करने वाले व्यक्ति का जन्म भारत में ही हुआ था। एटीएम का आविष्कार 1969 में हुआ था। इसका अविष्कार स्कॉटलैंड के एक वैज्ञानिक जॉन शेफर्ड बेरन ने किया था। इनका जन्म भारत के शिलॉन्ग शहर में हुआ था। जॉन शेफर्ड बेरन के महान आविष्कार ने लोगों को काफी बड़ी समस्या से निजात दिलाई।
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