June 4, 2023

Haribhoomi Explainer: IPL में क्या है इंपैक्ट प्लेयर का नियम, जानिये सबसे पहले कहां हुआ था इस्तेमाल

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इंपैक्ट प्लेयर का नियम आईपीएल 2023। 
Haribhoomi Explainer: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2023) के सोलहवें सीजन में पहली बार इंपैक्ट प्लेयर का नियम लागू किया गया है। अगर आप क्रिकेट प्रेमी हैं तो जानते होंगे कि इंपैक्ट प्लेयर नियम लागू करने से अब आईपीएल मैच में 11 की जगह 12 खिलाड़ी खेलते हैं। हालांकि, आईपीएल टीमें इस नियम को फॉलो करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं। इस सीजन का पहला मुकाबला गत-चैंपियन गुजरात टाइटंस और महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली टीम चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच खेला गया है, जिसमें चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान धोनी ने तुषार देशपांडे को आईपीएल के पहले इंपैक्ट प्लेयर के रूप में इस्तेमाल किया था। तुषार देशपांडे को सीएसके के बल्लेबाज अंबाती रायडू की जगह खिलाया गया था। वहीं, हार्दिक पांड्या ने साई सुदर्शन को इंपैक्ट प्लेयर के रूप में इस्तेमाल किया।
क्या है इंपैक्ट प्लेयर का नियम
आईपीएल से पहले किस घरेलू टूर्नामेंट में हुआ इंपैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल
बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) ने देश में बढ़ती हुई क्रिकेट की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए इसे और अधिक रोमांचक बनाने के लिए कई तरह के नए नियम लाता रहता है। बीसीसीआई ने देश के घरेलू टी-20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के इस सत्र में ‘इंपैक्ट प्लेयर’ के रूप में नया नियम लागू किया था। बीसीसीआई ने टूर्नामेंट से पूर्व सभी क्रिकेट राज्य संघों को सर्कुलर जारी किया था, जिसमे कहा गया था कि टी-20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ यह जरूरी है कि हम नई चीजों को पेश करें, जो इस प्रारूप को दर्शकों के साथ-साथ टीमों के लिए और अधिक आकर्षक बनाएं। बीसीसीआई ने इंपैक्ट प्लेयर के नियम को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में आईपीएल से पूर्व प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया था। आईपीएल में मुंबई इंडियंस की ओर से खेलने वाले ऋतिक शौकीन सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में ट्रॉफी के पहले इंपैक्ट प्लेयर बने थे।
इससे पहले किस क्रिकेट लीग में हो रहा था ‘इंपैक्ट प्लेयर’ का इस्तेमाल
आईपीएल और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से पूर्व ऑस्ट्रेलियाई टी-20 लीग बिग बैश (Big Bash) में Impact Player नियम का इस्तेमाल हो रहा था। हालांकि, बिग बैश में इस नियम को ‘एक्स फैक्टर’ के नाम से जाना जाता है। इस नियम के अनुसार, प्रत्येक टीम पहली इनिंग के 10वें ओवर पूर्व बारहवें या तेरहवें खिलाड़ी को एक्स फैक्टर प्लेयर के रूप में अपने अंतिम एकादश का हिस्सा बना सकती है। हालांकि, क्रिकेट में इस नियम का प्रयोग आईसीसी (International Cricket Council) ने साल 2005 में किया था। इसमें सुपर सब के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। इस नियम में यदि Super Sub खिलाड़ी किसी आउट हुए बल्लेबाज या गेंदबाजी कर चुके गेंदबाज के बदले उतरता था, तो वह न तो बल्लेबाजी कर सकता था और नहीं गेंदबाजी। कुछ समय बाद आईसीसी ने नियम को वापस ले लिए था।
इसके बाद आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट में सब्स्टीट्यूट प्लेयर के तौर इस नियम को कुछ बदलावों के साथ लागू किया है, जिसमें किसी क्रिकेट खिलाड़ी चोटिल होने पर उसकी जगह कोई दूसरा खिलाड़ी खेल सकता है। अगर खेल के दौरान किसी बल्लेबाज को चोट लगती है, तो बल्लेबाज की जगह बल्लेबाज हो टीम में शामिल हो सकता है। वहीं अगर कोई गेंदबाज चोटिल होता है, तो गेंदबाज की जगह गेंदबाज शामिल किया जाता है। इस तरीके के टीम में शामिल हुए खिलाड़ी को कन्कशन सब्स्टीट्यूट कहा जाता है।
किन-किन खेलों में होता है इंपैक्ट प्लेयर्स का इस्तेमाल
इसके पूर्व इंपैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल फुटबाल, हॉकी और कबड्डी जैसे खेलों में होता रहा है। फुटबाल और हॉकी मैच के दौरान मैदान पर खेल रहे टीम के खिलाड़ियों के अलावा कई खिलाड़ी बतौर अतिरिक्त खिलाड़ी (Substitute Players) ड्रेसिंग रूम में या मैदान के बाहर बैठे होते हैं, जिनकी संख्या अलग-अलग खेलों में अलग-अलग हो सकती है। ऐसे खिलाड़ियों को सब्स्टीट्यूट प्लेयर कहा जाता है। फुटबाल मैच के समय टीम के कोच किसी खिलाड़ी को मैदान के बाहर बुलाते हैं और किसी अतिरिक्त खिलाड़ी को उसकी जगह मैदान में भेज देते हैं। ऐसे प्लेयर को सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी कहा जाता है। अधिकांश खेलों में यह नियम है कि किसी खिलाड़ी को सब्स्टीट्यूट के तौर पर बाहर बुलाये जाने के पश्चात, उसे मैदान पर फिर से वापस नहीं भेजा जा सकता है। लेकिन फुटबॉल के कुछ टूर्नामेंट में टीमों को वापस बुलाए गये, खिलाड़ी को फिर से खेल में शामिल होने की छूट होती है। इस नियम को Return Substitute कहते हैं।
सब्स्टीट्यूट प्लेयर का कब हुआ पहली बार इस्तेमाल
फुटबाल में सब्स्टीट्यूट प्लेयर का पहली बार इस्तेमाल 1863 में किया गया था। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चार्टरहाउस नाम की टीम ने कार्थुसियनों के खिलाफ क्लॉईस्टर्स में एक फुटबाल मैच खेला था। इसमें से कुछ खिलाड़ी अनुपस्थित थे, जिसके बाद तीन खिलाड़ियों को प्रस्तिथापन के तौर इस्तेमाल किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय खेल में पहली बार सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी का इस्तेमाल 15 अप्रैल 1889 को वेल्स और स्कॉटलैंड के बीच हुआ था। इसमें वेल्स के गोलकीपर मैच में शामिल नही हो पाए थे, जिसके बाद स्थानीय खिलाड़ी अल्फ ने खेल की शुरूआत की थी। हालांकि, सब्टीट्यूट प्लेयर के नियम को फुटबाल में 1958 में जोड़ा गया था।
क्या आईआईसी भी कर सकती है इंटरनेशनल क्रिकेट मैचों में इस्तेमाल
2019 में आईसीसी ने Concussion Rule को लागू किया था। इस नियम में किसी चोटिल खिलाड़ी की जगह और स्थानापन्न खिलाड़ी को शामिल किया जाता है। हाल ही के सालों में दुनियाभर के टी-20 लीग में धीरे-धीरे बढ़ रहे इंपैक्ट प्लेयर के इस्तेमाल को देखते हुए संभव है कि आने वाले समय में आईसीसी भी इसके संबंध में कोई निर्णय ले। ऐसे में इंपैक्ट प्लेयर के इस्तेमाल से खेल में रोमांच पैदा हुआ है और दर्शकों इस नियम को लेकर उत्साह है।
इंपैक्ट प्लेयर के नियम पर क्रिकेट एक्सपर्ट्स की राय
दिल्ली कैपिटल्स के मुख्य कोच और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग का कहना है कि इंपैक्ट प्लेयर नियम आईपीएल में ऑलराउंडर्स यानी हरफनमौला खिलाड़ियों का प्रभाव कम करेगा। वहीं पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर टॉम मूडी कहते हैं कि इस नियम से भारतीय हरफनमौला खिलाड़ियों की संख्या कम हो जाएगी, क्योंकि इंपैक्ट प्लेयर नियम का फायदा उठाकर टीमें विशेषज्ञ खिलाड़ियों को टीम में मौका देगी। न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर और आरसीबी के कोच माइक हेसन का मानना है की अब ऑलराउंडर्स ज्यादा इस्तेमाल होंगे। क्योंकि टीमें अब स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को स्पेशलिस्ट गेंदबाजों से बदल देंगी और गेंदबाजों को बल्लेबाजों से वहीं, ऑलराउंडर्स को टीम रखा जाएगा।
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