Knowledge News : जानिए आखिर कब और क्यों इंसानों ने शुरू किया जानवरों का दूध पीना

Knowledge News : जानिए आखिर कब और क्यों इंसानों ने शुरू किया जानवरों का दूध पीना
आजकल मार्किट में जानवरों के दूध (Animal Milk) के मुकाबले और भी बहुत से तरह के दूध आ गए हैं। ज्यादातर लोगों को पैकेट या फिर बोतल में बंद दूध पीना ही पसंद होता हैं। जैसा बादाम या फिर सोया का दूध। लेकिन गांव से लेकर शहर में ज्यादातर लोग पालतू जानवरों का दूध (Milk) पीना पसंद करते हैं या यू कहे की ये उनकी एक आदत में शामिल होता हैं। जैसे गाय, भैंस या फिर बकरी का दूध। बच्चों के लिए भी मां के बाद पालतू जानवरों के दूध को ही अच्छा बताया गया हैं। लेकिन अब एक सवाल ये आता है कि आखिर लोगों को जानवरों का दूध पीना इतना पसंद क्यों होता हैं। साथ ही इंसानों ने कब और क्यों जानवरों के दूध को पीना शुरू किया। ये सवाल तो कभी आपके मन में भी उठे होंगे। चलिए जानते हैं इसके बारे में…
पूरी दुनिया में हर साल तकरीबन 90 करोड़ टन से ज्यादा का दूध का व्यापार होता है। इसमें से 90 फीसद उत्पादन सिर्फ पालतू जानवरों से होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1998 से लगातार पूरे विश्व में दूध का उत्पादन और खपत बढ़ती जा रही है। साल 2017 में दुनिया भर में करीब 86 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया गया। IFCN डेरी रिसर्च नेटवर्क कि मानें तो साल 2030 तक दुनिया में दूध की मांग लगभग 117 करोड़ टन तक पहुंच सकती है। दूध के उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा इंसानों के लिए इस्तेमाल होता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि लोगों ने सबसे पहले गाय का दूध पीना शुरु किया था फिर धीरे-धीरे भेड़, बकरी और भैंस के दूध को पीना भी शुरु कर दिया। इंसानों ने जानवरों के दूध को पीने के साथ साथ इससे बहुत सी चीजें बनानी भी शुरू कर दी। जैसे बटर, घी आदि।
पेरिस के म्यूज़ियम ऑफ ह्यूमनकाइंड की प्रोफेसर लॉर सेगुरेल के अनुसार, दूध पीने की सबसे पहले आदत पश्चिमी देशों के लोगों को लगी। मध्य यूरोप तक आने में इस आदत को करीबन 2 हाजर साल लगे। उनका मानना था कि सबसे पहले पश्चिमी देश के लोगों ने जानवरों को पालना शुरू किया होगा। लेकिन अब अमेरिका, यूरोप और भारत के साथ-साथ पूरे एशिया में लोग दूध का सेवन करते हैं।
इन लोगों ने जानवरों के दूध को कहा ‘नहीं’
अगर बात भारत (India) कि करी जाए तो महात्मा गांधी से लेकर क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा ने जानवरों के दूध को न पीने के लिए कहा था। उनका मानना हैं की दूध निकालने के लिए जानवरों को बहुत प्रताड़ित किया जाता हैं।
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