जयपुर। मनरेगा जॉब कार्ड धारकों को प्रतिवर्ष 100 दिनों की रोजगार दिया जाता है। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय पात्र एवं अकुशल कार्य करने के इच्छुक परिवारों को जॉब कार्ड जारी करती है। इस कार्ड में किये कार्य एवं हाजिरी की जानकारी दर्ज किया जाता है। मरूधरा में मनरेगा योजना में 100 दिन का रोजगार मजाक बनकर रह गया है। केवल कागजों में श्रमिकों का नियोजन किया जा रहा। प्रदेश पंचायतों में श्रमिकों के लिए काम तो बहुत है, लेकिन ग्रामीण विभाग मजदूरों को रोजगार नहीं दे पा रहा।
रोजगार देेने में फेल
मई के महीने में 96 हजार से ज्यादा मस्टररोल निकाली गई, लेकिन इन कामों में एक भी श्रमिक को रोजगार नहीं मिल पाया। जबकि ग्राम पंचायत द्वारा 12 हजार मस्टररोल को ग्रामीण विकास विभाग ने डिलिट कर दिया। इन आकंड़ों से ये साबित होता है कि विभाग श्रमिकों को रोजगार देने में फेल साबित हो रहा है। पीक टाइम में मनरेगा में रोजगार ना मिलना बड़ा चिंता का विषय है।
जानिए किन जिलों में मस्टररोल जारी, पर रोजगार नहीं
डूंगरपुर जिले में 437 मस्टररोल डिलिट 6870 जीरो अटैडेंस मस्टररोल
बांसवाड़ा जिले में 988 मस्टररोल डिलिट 5825 जीरो अटैडेंस मस्टररोल
जयपुर जिले में 214 मस्टररोल डिलिट 5773 जीरो अटैडेंस मस्टररोल
नागौर जिले में 1083 मस्टररोल डिलिट 4881 जीरो अटैडेंस मस्टररोल
झालावाड़ जिले में 472 मस्टररोल डिलिट 3307 जीरो अटैडेंस मस्टररोल
अधिकारी आंकड़ों में हेराफेरी में व्यस्त
ऐसे में सवाल यही कि आखिरकार मनरेगा संविदाकर्मियों की हड़ताल का असर देखा जा रहा है या फिर श्रमिक मनरेगा के काम में दिलचस्पी नहीं ले रहे या फिर विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण मनरेगा में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा। क्योंकि विभाग के अधिकारी तो वैसे भी आकंड़ों की हेराफेरी में व्यस्त है।
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