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March 31, 2023

Knowledge News : आखिर बिना सर्फ-साबुन पहले कैसे कपड़े धोते थे लोग, जानिए पूरा प्रोसेस

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How Washing Clothes in Ancient Time : आज जिन कपड़ों को हम पहनते हैं, अगर वो गंदे हो जाएं तो घर जाकर हम उनको धोने के लिए डाल देते हैं। उसके बाद घर पर मम्मी या जो भो कपड़ों को धोता है, वो उनकी सफाई करने के लिए बाजार से पहले सर्फ और साबुन लेकर आते हैं। उसके बाद साबुन और सर्फ से कपड़े धुलने में ज्यादा टाइम और मेहनत नहीं लगती। साथ ही, इनसे कपड़े अच्छे खासे साफ भी हो जाते हैं। यह तो सब जानते हैं कि साबुन, सर्फ जैसी चीजों का अविष्कार काफी बाद में हुआ है। इसके साथ ही लगभग 130 साल पहले भारत में पहली बार साबुन आया था। इसे ब्रिटिश कंपनी लीबर ब्रदर्स इंग्लैंड ने भारतीय बाजार में उतारा था। ऐसे में आखिर पहले के लोग अपने मैले कपड़ों को कैसे साफ करते थे? आइये जानते हैं अपने इस आर्टिकल में।
कपड़े धोने के लिए इसका करते थे इस्तेमाल
बता दें कि साबुन और सर्फ के आने से पहले भारतीय लोग ऑर्गेनिक चीजों से कपड़ों को साफ करते थे। इसके लिए लोग रीठा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते थे। राजाओं-महाराजों के महल के बगीचों में रीठा के पेड़ लगे होते थे। इसके छिलकों से निकला झाग गंदे कपड़ों से मैल को साफ कर उन्हें एकदम चमकदार बना देता था। बहुत सी जगह आज भी महंगे और रेशमी कपड़ों को साफ करने के लिए रीठा का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही इसका इस्तेमाल बालों को धोने के लिए भी किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पहली बार नहाने और कपड़े धोने के साबुन की फैक्ट्री साल 1897 में मेरठ में लगाई गई थी।
उस समय में हर किसी के पास रीठा नहीं हुआ करता था, इसलिए कपड़ों को धोने से पहले लोग उन्हें गर्म पानी में डालकर गीला कर लेते थे। फिर कपड़ों को पत्थरों पर पीटकर साफ किया जाता था। बता दें कि आज भी ज्यादातर धोबीघाट में बिना साबुन और सर्फ के ही कपड़े को पुराने तरीके से धोया जाता है।
ऐसे करते थे रीठा का इस्तेमाल
बता दें कि रीठा का इस्तेमाल महंगे और मुलायम कपड़ों को धोने में होता था। पहले रीठा के फलों को पानी डालकर उसे गर्म कर लिया जाता था, जिससे उसमें झाग बन जाता था। इसके बाद झाग को निकालकर कपड़ों पर डाला जाता था और कपड़े को पत्थर या लकड़ी पर रगड़कर उन्हें चमकाया जाता था। इससे कपड़े तो साफ होते ही थी, साथ ही वो कीटाणुमुक्त भी हो जाते थे। रीठा ऑर्गेनिक होता है, इसलिए शरीर पर भी इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता था।
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