Knowledge News: हमारा देश भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। देश में ऐसी कई संस्कृतियां हैं जो सोचने पर मजबूर कर देंती हैं। दरअसल भारत में प्राचीन काल से ही अनेक प्रथाओं का चलन रहा है, जबकि कुछ प्रथाएं आज भी देश में चलन में हैं। दोस्तों आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम देश में प्रचलित एक ऐसी ही प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सोचकर आप जरूर हैरान रह जाएंगे। जिस प्रथा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उस प्रथा को आज भी लोग बड़े ही शिद्दत के साथ फॉलो करते हैं। तो चलिए कोई देर न करते हुए हम आपको बताते हैं कि देश के कौन से राज्य में ऐसा गांव बसा है जहां पर हर वर्ष लोग 12 घंटे के लिए उसे खाली कर देते हैं।
हर वर्ष 12 घंटे के लिए खाली हो जाता है ये गांव
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में पश्चिम चंपारण के बगहा में नौरंगिया गांव स्थित है। इस गांव के लोग हर साल बैसाख के नवमी के दिन 12 घंटे के लिए गांव छोड़कर जंगलों में चलते जाते है और पूरा दिन घने जंगलों में ही गुजारते हैं। लेकिन ये लोग घर छोड़कर क्यों जाते हैं, इसकी क्या मान्यता है। इसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। नौरंगिया गांव के लोगों की मान्यता है कि बैसाख के नवमी के दिन ऐसा करने से देवी के प्रकोप से निजात मिलती है। ऐसा कहा जाता है, सालो पहले नौरंगिया गांव में महामारी आई थी। उस दौरान गांव में आग लग जाती थी। चेचक, हैजा जैसी गंभीर बीमारियां फैल जाती थी।
लेकिन हैरत की बात यह है कि जब ये लोग गांव से 12 घंटे के लिए जंगल में जाते हैं अपने घर पर ताला तक नहीं लगाते हैं। पूरा घर खुला रहता है। गांव के लोग इस प्रथा को पूरे उत्सव के साथ निभाते है। जब गांव के सभी लोग जंगल में पहुंच जाते हैं तो माहौल एकदम पिकनिक जैसा हो जाता है। जंगल में एक मेला भी लगाया जाता है।
रिपोर्ट की मानें तो वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में बसा नौरंगिया गांव में रहने वाले लोगों का कहना है, यह पर रहने वाले बाबा परमहंस के सपने में देवी मां आई थीं। देवी ने बाबा से सपने में गांव को बचाने के लिए आदेश दिया था कि नवमी को गांव खाली कर गांव के सभी लोग वनवास को जाया करें। इसी दिन के बाद से यह परंपरा शुरू हो गई। इस परंपरा को लोग आज भी बड़े शिद्दत के साथ निभाते आ रहे है।
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