June 4, 2023

Thalassaemia Day: कितना घातक है थैलेसीमिया, जानें इसके फैलने के कारण

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थैलेसीमिया खून से संबंधित गंभीर बीमारी है।

World Thalassaemia Day 2023: दुनियाभर में हर साल 8 मई को थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। बता दें कि थैलेसीमिया खून से संबंधित बहुत ही घातक बीमारी है। यही कारण है कि WHO पूरी दुनिया में इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ आम जनता में जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान भी चलाती है। थैलेसीमिया (Thalassaemia) की गंभीरता का पता आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर पेशेंट को 3 या फिर 6 महीने में ब्लड नहीं मिलता है, तो मरीज की जान भी जा सकती है।
बता दें कि थैलेसीमिया की बीमारी बच्चों में जन्मजात पाई जाती है। यह माइल्ड और मेजर दो तरह की होती है। अगर किसी बच्चे में माइल्ड थैलेसीमिया पाया जाता है, तो वह अपनी लाइफ नॉर्मल तरीके से जी सकते हैं। वहीं, अगर बच्चे में थैलेसीमिया की समस्या मेजर है, तो वह ज्यादा समय जीवित नहीं रहते हैं और अगर कोई सर्वाइव कर भी ले, तो वह जिंदगीभर कई समस्याओं का सामना करते हैं।
जानिए क्या होता है थैलेसीमिया
जैसा की हमने आपको बताया, थैलेसीमिया (Thalassaemia) एक तरह का रक्त विकार है। इसमें बच्चे के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) का उत्पादन सही तरीके से नहीं होता है और बनने वाली कोशिकाएं ज्यादा समय तक सही तरीके से काम भी नहीं करती हैं। यही वजह है कि इन बच्चों को हर 21 दिन में कम से कम एक यूनिट खून तो चढ़ाना ही पड़ता है। इसके बाद भी कई मामलों में इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे बहुत लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं।
हमारे शरीर में खून (Blood) बहुत अहम भूमिका निभाता है, इसमें मौजूद वाइट ब्लड सेल्स (WBC) और रेड ब्लड सेल्स (RBC) इम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं। रेड ब्लड सेल्स शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बनाए रखते हैं, लेकिन थैलेसीमिया के रोगी के शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण बहुत कम होता है।
कैसे हो सकता है थैलेसीमिया
जैसा की हमने आपको बताया कई बच्चे थैलेसीमिया जन्म से ही अपने साथ लेकर पैदा होते हैं। अगर माता या पिता में से किसी एक या दोनों में थैलेसीमिया होता है, तो यह रोग बच्चे में भी आ सकता है। इसलिए बच्चा प्लान करने से पहले या फिर शादी करने से पहले ही आप अपने जरूरी मेडिकल टेस्ट करवा लें। अगर माता-पिता दोनों को ही माइल्ड रोग है, तो बच्चे को थैलेसीमिया होने की आशंका 50-50 होती है। हालांकि, अगर माता-पिता दोनों में से एक को यह रोग मेजर है, तो बच्चों में यह रोग ट्रांसफर होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
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